ये वक़्त थम जाए,
रस्ते रुक जाएं,
गूंजे तो बस
चिड़ियों के चहचहाने की आवाज,
कोयल की कूक...
मिले तो बस
चाँद की शीतल चांदनी,
तारों की छाँव...
चाहूं तो बस
झरने का कल-कल बहता पानी,
सर्दी की धूप...
सोचूं तो बस
सिर्फ तुम्हें,
सिर्फ तुम्हें और सिर्फ तुम्हें...
बस इतना सा ख्वाब है...
रस्ते रुक जाएं,
गूंजे तो बस
चिड़ियों के चहचहाने की आवाज,
कोयल की कूक...
मिले तो बस
चाँद की शीतल चांदनी,
तारों की छाँव...
चाहूं तो बस
झरने का कल-कल बहता पानी,
सर्दी की धूप...
सोचूं तो बस
सिर्फ तुम्हें,
सिर्फ तुम्हें और सिर्फ तुम्हें...
बस इतना सा ख्वाब है...