मैं रोना तो बहुत चाहता हूँ मगर
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मैं रोना तो बहुत चाहता हूँ मगर,
खुश्क हो गई आँखें आज फिर मेरी...
पहली दफा किसी के जाने पे इतना बरसी थी,
कि खुश्क हो गई थी आँखें उस रोज़ मेरी...
ना रोक पाया था सामने से जाते उन्हें,
हाथ भी जैसे जड़-सा हो गया था मेरा,
जुबां सूख के जम गई थी मानो,
शिथिल अंग-अंग पड़ गया था मेरा,
एक अनाम ही सही पर रिश्ता तो जुड़ गया था उनसे,
रात भी वो और सवेरा भी वो ही थे मेरा,
मैं बुलाता रहा पर वो नहीं आये,
रुला दिया मुझको, साथ छोड़ा जो मेरा...
आज फिर से कुछ अटपटा-सा घटा एकायक,
कुछ उम्मीद थी, कुछ होंसला था मेरा,
टूटते, बिखरते दिख रहे हैं सपने,
जो पाना चाहा वो ना रहा मेरा,
ना मिल सकेगा जीवन पर्यन्त,
वो ख़ुशी, वो सुकून, वो ख्वाब मेरा,
सोचता हूँ अब, जो गया सो गया,
समेट लूं आँचल में बाकी जहां मेरा...
मैं रोना तो बहुत चाहता हूँ मगर,
खुश्क हो गया आँखों में बसा ख्वाब मेरा…
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मैं रोना तो बहुत चाहता हूँ मगर,
खुश्क हो गई आँखें आज फिर मेरी...
पहली दफा किसी के जाने पे इतना बरसी थी,
कि खुश्क हो गई थी आँखें उस रोज़ मेरी...
ना रोक पाया था सामने से जाते उन्हें,
हाथ भी जैसे जड़-सा हो गया था मेरा,
जुबां सूख के जम गई थी मानो,
शिथिल अंग-अंग पड़ गया था मेरा,
एक अनाम ही सही पर रिश्ता तो जुड़ गया था उनसे,
रात भी वो और सवेरा भी वो ही थे मेरा,
मैं बुलाता रहा पर वो नहीं आये,
रुला दिया मुझको, साथ छोड़ा जो मेरा...
आज फिर से कुछ अटपटा-सा घटा एकायक,
कुछ उम्मीद थी, कुछ होंसला था मेरा,
टूटते, बिखरते दिख रहे हैं सपने,
जो पाना चाहा वो ना रहा मेरा,
ना मिल सकेगा जीवन पर्यन्त,
वो ख़ुशी, वो सुकून, वो ख्वाब मेरा,
सोचता हूँ अब, जो गया सो गया,
समेट लूं आँचल में बाकी जहां मेरा...
मैं रोना तो बहुत चाहता हूँ मगर,
खुश्क हो गया आँखों में बसा ख्वाब मेरा…
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