Thursday, 20 September 2012

जिंदगी

हर एक पल जियो कुछ ऐसे,
के तुम्हें भी ये सोचना पड़े,
के जो बीत गया, वो अच्छा था,
या जो जी रहे हैं, वो अच्छा है,
ये जिंदगी है बहुत छोटी, ए दोस्त...
इसे जी लो आज जी भर के…

Tuesday, 18 September 2012

Inspiration

 
Everyone loves competition,

And they want to win it…

I would like to lose…

Coz I want my inspiration to win…




जश्न-ए-तन्हाई

जश्न-ए-तन्हाई मैं मनाता कैसे,
इस शाम का लुत्फ़ उठाता कैसे,

आँखें बंद करके तुमको जो याद किया,
तेरी खुशबू ने ये चमन महका-सा दिया…

 
हर तरफ तेरा ही जादू दिखने लगा था,
चाँद भी बादलों में कहीं छुपने लगा था,

तेरे साथ की तो बात ही सबसे जुदा है,
दिलो-दिमाग में आज भी तेरा ही नाम खुदा है…

 
तू मुस्काती है तो फूल खिल उठते हैं,
इस हंसी को आज भी नैन तरसते हैं,

एक गुज़ारिश है, थोडा-सा मान रखना,
इन होठों पे हमेशा मुस्कान रखना…

Sunday, 16 September 2012

याद 3

जब-जब भीड़ बढ़ी है,
तू ही याद आई है,
जब भी तन्हा हुआ हूँ,
तू ही याद आई है...
 
तेरी याद को संजोता रहा मैं,
हर सांस में पिरोता रहा मैं,
अपने साये से कुछ इस तरह लड़ा,
के इस भीड़ में भी अब तन्हा मैं...
 
जिस हवा में तेरी खुशबू नहीं,
उसमें सांस कैसे लेता मैं,
इस तन्हाई का गुमां होता,
तो अब तक जां दे देता मैं...
 
अब बहुत नींद आ रही है,
मुझे अपनी गोद में तू सुला ले,
दम घुट रहा है मेरा,
आखरी बार तो गले से लगा ले...
 
ज़िंदगी भी उधार-सी लगती है,
हर सांस कर्ज़दार सी लगती है,
फिर भी मुझे कोई गिला नहीं,
बस तेरे दीदार की चाहत लगती है...

Friday, 14 September 2012

वक़्त

अकेलेपन से घबराता हूँ मैं,
भीड़ से कतराता हूँ मैं,
जिंदगी मानो बोझ हो गयी है,
अपनी तो यही कहानी हर रोज़ हो गयी है...


पास बुलाने से भी अब तो डरते हैं,
दूर रहूँ यही दुआ सब करते हैं,
हंसी तो अब सपनों में भी नहीं आती है,
क्या वक़्त के साथ दुनिया इतनी बदल जाती है...


शायद कसूर इसमें भी मेरा है,
इस रात के बाद तो ना कोई सवेरा है,
रात का अंधेरा भी आँखों में चुभता है,
सूरज बिन चढ़े ही यहां डूबता है...


सांसें भी कुछ ज्य़ादा लगने लगी हैं,
दिल में बेचैनी सी बढ़ने लगी है,
इस जीवन का कोई औचित्य तो बचा नहीं,
पर मुझे तुझ से भी कोई गिला नहीं...

अश्क़

तेरे अश्क़ छलकें ना जनाज़े पे मेरे,
दिल दुखे ना तेरा मेरी वजह से कभी,
इसी डर के चलते सांसें लिए जा रहे हैं,
हम तेरी याद में ये ज़िंदगी जिये जा रहे हैं...

मैं ऐसा क्यूँ हूँ...

सब बढ़ चले अपने रस्ते,
फिर भी मैं खड़ा वहीँ हूँ,
ये तो मैं खुद भी नहीं जानता
के मैं ऐसा क्यूँ हूँ...


सब अपने ही रंग में रंग रहे,
अपनी-सी धुन में बढ़ रहे,
क्या मैं पीछे रह गया हूँ,
या फिर बे-रंग हो गया हूँ,
ये तो मैं खुद भी नहीं जानता
के मैं ऐसा क्यूँ हूँ...


जो आज आगे दिख रहा है,
कल वो पीछे रह जाएगा,
इस मंज़िल को पाने के बाद,
इसका मोल भी तो कम हो जाएगा,
मैं तो आज भी पीछे मुड़ के देख रहा हूँ,
जो नहीं मिला उसे ढूँढ रहा हूँ,
ये तो मैं खुद भी नहीं जानता
के मैं ऐसा क्यूँ हूँ...


भीड़ से डर लगता है क्यूँ,
अकेले में दिल धड़कता है यूँ,
अब तो बस अकेले ही चलना चाहता हूँ,
कुछ यादों में ही सिमटना चाहता हूँ,
ये तो मैं खुद भी नहीं जानता
के मैं ऐसा क्यूँ हूँ...


यहाँ तो मुझ-सा भी कोई नहीं,
या मैं ही सबसे अलग हूँ,
ये तो मैं खुद भी नहीं जानता
के मैं ऐसा क्यूँ हूँ...