Wednesday, 8 June 2011

सपने

एक हवा का झोंका आया
जो सब कुछ उड़ा ले गया
कुछ सपने थे जो कभी अपने ना थे
बह गए उसी लय में
जिनमें जाना था उन्हें
कुछ सपने थे जो अपने ना थे
पर उस अपनेपन का अहसास करा गए
कि भूलकर भी ना भूल पाऊंगा
उन अपनों को और उस हवा के झोंके को||
एक बदली आयी
जो दिल तक बदल गयी
जाते ही जिसके, खुद को पाया
एक बियावान अकेले में
साथियों को ढूँढा पर पाया
एक बदला हुआ स्वरुप
जिससे अनभिज्ञ रहा आज तक
पर धन्यवादी हूँ उस बदली का
जिसने कराया सच्चाई से परिचय||
पानी की बौछार ने धो दिया
उन रिश्तों को जिन्हें अपना कहता रहा
पर अपना बना ना सका
वो एक सपना ही तो था
जो सपने की तरह सपने में ही खो गया
मन को समझा ही लिया
कि सपने सच नहीं होते
बल्कि होते हैं बहने के लिए
उसी बौछार में, जिसे सोचकर भी
सिहरन सी हो उठती है||
हवा, बदली और पानी क्या नहीं बदल सकते,
सोचते-सोचते थक सा गया हूँ|

1 comment:

  1. this is gr8 stuff Mr Kaushik !!! this is a totaly new side of yours , Amit the Poet !!!!
    keep it up!!!cheers

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