कैसा जीवन है ये,
कल आया था तू इस संसार में,
कल चले भी जाएगा,
ना कुछ लाया था,
ना कुछ लेके जाएगा|
जो है यहाँ, वही तेरा है,
जो पाना है, यहीं पायेगा,
जो खोएगा, यहीं मिट जाएगा|
क्यों करता है द्वेष किसी से,
काहे पाले ईर्ष्या मन में,
जब सब कुछ रह जाना इस जग में||
प्यार से बोलोगे तो प्यार मिलेगा,
द्वेष रखोगे तो द्वेष बढेगा,
तेरे मन के हर विचार का आईना,
तेरी छवि तुझे दिखाएगा|
जो बनाया खून-पसीने से,
इसी मिट्टी में लीन हो जाएगा|
जिसका जितना रिश्ता तुझ से,
उतना ही तू उसे याद आएगा,
थोड़े समय के बाद
तेरा चेहरा भी धूमिल हो जाएगा|
क्यों करता है द्वेष किसी से,
काहे पाले ईर्ष्या मन में,
जब सब कुछ रह जाना इस जग में||
जीना है तो आज में जी ले,
क्योंकि कल तो मिट्टी हो जाएगा,
ना जी सका अगर आज में तू,
ये आज ना फिर लौट के आएगा|
ढाई अक्षर प्रेम के बोल सबसे,
और तेरा जीवन तर जाएगा,
ना दुखा दिल किसी का अनजाने में भी,
वो तुझे हर पल तड्पाएगा|
क्यों करता है द्वेष किसी से,
काहे पाले ईर्ष्या मन में,
जब सब कुछ रह जाना इस जग में||
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