Tuesday, 6 December 2011

याद


सुबह-सुबह की पालकी पे,
सूरज की किरणें आती हैं,
हल्की-हल्की ओस की बूँदें,
याद तेरी लाती हैं|


दिन चढ़ा, कोहरा छंटा,
हवा में ताजगी आने लगी,
याद तेरी फिर छाने लगी,
सूरज ने थोड़ी गर्मी बढाई,
दिन खिला, दिल हिला,
कदम खुद-ब-खुद बढ़ने लगे,
तेरी याद के खुमार चढ़ने लगे,

सांझ ने दस्तक दी मुहाने पे आके,
हवा की ठंडक कनखियों से झांके,
सिहर उठा तन-बदन,
जब तेरी याद छू गयी मेरा ये मन|
चाँद ने बिखेरी चांदनी,
तारों ने चादर थी बिछाई,
तड़प उठा रोम-रोम मेरा,
जब याद तेरी उस रात थी आई||

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