Wednesday, 21 December 2011

रिश्ते

रिश्ते बदल जाते हैं इक पल में ही,
रिश्तों के मायने भी बदल जाते हैं,
रिश्ता चाहे कोई भी हो, दोस्ती का ही सही,
जिन के साथ दिन-रात का पता नहीं रहता था,
आज हफ्ते-महीने गुजर जाते हैं बात हुए,
याद आते हैं बार-बार वो क्षण मुझे,
जब हम एक-दूसरे के पूरक हुआ करते थे,
बातें करते-करते रात छोटी पड़ जाती थी,
अब रात काटने के लिए तारे गिना करते हैं,
कभी तो हम साथ ही मिला करते थे,
आज मिलने का कारण भी नहीं मिलता है |


शायद वो राह में आगे बढ़ गये हैं,
और हम वहीं के वहीं हैं आज भी,
कभी-कभी तो लगता है मानो,
हमारी सोच ही पिछड़ गयी है,
उनकी दृष्टि से देखो तो भ्रम ही लगता है,
समय के साथ बदलना ही तो प्रकृति है,
मौसम बदलते हैं, दिन बदलते हैं,
पर क्या दिल भी बदला करते हैं,
हमने तो खुद को सदा सुदामा ही पाया,
और ढूंढते रहे एक कृष्ण-सा साथी,
जिसके स्पर्श मात्र से ही जीवन तर जाए,
मौखिक रूप में तो ये हमारा स्वार्थ ही है,
पर रिश्ते स्वार्थ के नहीं, प्यार के भूखे होते हैं |


स्वार्थ और प्यार के इस महीन अंतर को समझना ही जीवन है ||

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